Monday, March 28, 2016

अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में वर्ष 2015 में भारत और चीन ने भारी निवेश किया: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट


अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत और चीन बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बीते साल दोनों के नेतृत्व में विकासशील देशों का सौर, पवन और अन्य अक्षय ऊर्जा में क्षमता विस्तार के लिए प्रतिबद्ध निवेश का आंकड़ा अमीर मुल्कों से पहली बार आगे निकल गया। यह जानकारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट "ग्लोबल ट्रेंड्स इन एनर्जी इंवेस्टमेंट 2016" में दी गई है।संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्यक्रम द्वारा तैयार रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील मुल्कों ने 2015 में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 156 अरब डॉलर का भारी निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई। यह आंकड़ा साल 2014 के मुकाबले 19 फीसद ज्यादा है। इसके उलट विकसित देशों का अक्षय ऊर्जा में निवेश आठ फीसद घटकर 130 अरब डॉलर हो गया।प्रमुख बात यह है कि इस निवेश के मामले में भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों ने विकासशील मुल्कों को आगे निकाला। चीन ने बीते साल 102.9 अरब डॉलर का निवेश अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में करने की प्रतिबद्धता जाहिर की। यह इससे पूर्व वर्ष की तुलना में 17 फीसद अधिक है। पूरी दुनिया के लिहाज से भी निवेश का यह आंकड़ा एक तिहाई है।भारत भी इस मामले में दस शीर्ष देशों में शुमार है। उसकी बीते साल अक्षय ऊर्जा में निवेश की राशि 22 फीसद बढ़कर 10.2 अरब डॉलर पर पहुंच गई। इतनी तेज बढ़त भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद नीतियों में बदलाव के चलते हुई है। मोदी सरकार ने साल 2022 पवन बिजली उत्पादन का लक्ष्य तीन गुना बढ़ाकर 60 हजार मेगावॉट कर दिया है।चीन, भारत और ब्राजील को मिलाकर निवेश का आंकड़ा 120.2 अरब डॉलर रहा है। बाकी के सभी विकासशील देशों की ओर से बीते साल अक्षय ऊर्जा में निवेश 30 फीसद बढ़ाकर 36.1 अरब डॉलर किया गया है।

विकसित देशों की स्थिति:अक्षय ऊर्जा में साल 2015 के दौरान यूरोप में निवेश 21 फीसद गिरकर 48.8 अरब डॉलर रह गया। इस महाद्वीप के लिए निवेश का नौ साल का निचला स्तर है। अमेरिका में निवेश 19 फीसद बढ़कर 44.1 अरब डॉलर हो गया। जापान के निवेश का आंकड़ा 36.2 अरब डॉलर रहा था।

भारत में महत्वपूर्ण परियोजनाएं:भारत में जिन बड़ी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को बीते साल मंजूरी दी गई, उनमें देश की दिग्गज बिजली उत्पादक एनटीपीसी के दो सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट शामिल हैं। भारत में सौर ऊर्जा में निवेश विंड एनर्जी के मुकाबले ज्यादा रहा।मोदी सरकार ने सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 2020 तक एक लाख मेगावॉट पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। भारतीय अक्षय ऊर्जा कंपनियों ने इस दौरान 54.8 करोड़ डॉलर का वेंचर कैपिटल फंड जुटाया। यह राशि समूचे यूरोप की कंपनियों के मुकाबले करीब ढाई गुना रही।